कम इन्‍वेस्‍टमेंट में अच्‍छी इनकम के लिए खेती को जरिया बनाने वालों के लिए बेबी कॉर्न की खेती भी एक अच्‍छा विकल्‍प हो सकती है। खास बात यह है कि बेबी कॉर्न की पैदावार को पूरे साल में 3 से 4 बार लिया जा सकता है। बड़ी-बड़ी रेस्‍टोरेंट चेन और होटलों में अच्‍छी-खासी डिमांड होने के चलते इसकी कीमत भी अच्‍छी मिलती है। यदि एक हेक्‍टेयर भूमि में बेबी कॉर्न की खेती का मॉडल समझा जाए तो इससे सालभर में 3 से 4 लाख रुपए की इनकम आसानी से की जा सकती है। जबकि, एक बार में लागत 10 से 15 हजार रुपए प्रति हेक्‍टेयर की आती है। इस हिसाब से देखा जाए तो शुद्ध लाभ 2.5 लाख रुपए से 3.5 लाख रुपए अर्जित किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि अच्‍छी इनकम के लिए कब, कैसे और किन किस्‍मों की करें बुआई

अभी है बुआई का अच्‍छा समय

बेबी कॉर्न मक्‍का की एक प्रजाति होती है। या यूं कहें कि यह मक्‍का का प्री-मैच्‍योर भुट्टा होता है। भारत के अधिकतर हिस्‍सों में मक्‍का की बुआई तीनों सीजन (सर्दी, गरमी और बरसात) में की जाती है। उत्‍तर भारत में दिसंबर और जनवरी के महीनों में बुआई ठीक नहीं रहती है। वर्तमान में खरीफ सीजन के लिए बेबी कॉर्न की फसल को बोया जा सकता है। आगे पढ़ें कौन से बीज करें इस्‍तेमाल…

कितनी लगती है लागत

एक हेक्‍टेयर कृषि भूमि में बेबी कॉर्न पैदा करने के लिए लगभग 15 किलोग्राम बीज की आवश्‍यकता हेाती है। सीड कंपनी के प्रमाणित बीज 200 से 300 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मिलते हैं। इसके अलावा बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक व अन्‍य लागत पर 6 से 10 हजार रुपए का खर्च आ जाता है। इसमें जल्‍दी पैदावार देने वाली (50 से 55 दिनों में) हरियाणा मेज(एचएम)-4, एचक्‍यूपीएम आदि उन्‍नत किस्‍मों को चुना जा सकता है। इन किस्‍मों में बेबी कॉर्न के सभी गुण मौजूद होते हैं।

16 से 20 क्विंटल तक होती है पैदावार

एक हेक्‍टेयर बेबी कॉर्न की फसल से लगभग 16 से 20 क्विंटल बेबी भुट्टा (बिना छिलके) के प्राप्‍त होता है। इसके अलावा 200 से 300 क्विंटल हरा चारा भी प्राप्‍त होता है। गर्मियों के दिनों में बेबी कॉर्न और हरा चारा की बेहद अच्‍छी डिमांड रहती है। बेबी कॉर्न को तोड़ने के बाद नरमंजरी, रेशा, छिलका आदि पोष्टिक चीजें भी मिलती हैं। ये भी बाजार में आसानी से बिक जाती हैं।

एक बार में 1.5 से 2 लाख रुपए की इनकम

बेबी कॉर्न की बिक्री अधिकतर बड़े शहरों में की जाती है। इसकी फुटकर कीमत 70 से 120 रुपए प्रतिकिलो के आसपास होती है। थोक में इसका रेट 4000 से 6000 रुपए प्रति क्विंटल (क्‍वालिटी के अनुसार) होता है। यदि कम से कम दाम 4000 रुपए प्रति क्विंटल को भी आधार बनाया जाए तो सिर्फ बेबी कॉर्न से ही 80000 रुपए इनकम होती है। इसके अलावा हरा चारा स्‍थानीय बाजारों में लगभग 200 रुपए से 300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिकता है। इससे 60 हजार रुपए तक इनकम होती है। इस तरह यदि साल में दो बार भी बेबी कॉर्न की फसल ली जाए तो इससे 2.50 रुपए तक कमाए जा सकते हैं। इसके साथ अन्‍य मौसमी फसलें भी ली जा सकती हैं।

ऐसे करें मार्केटिंग

इसकी बिक्री बड़े शहरों (जैसे- दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता आदि) के मंडियों में की जा रही है | कुछ किसान इसकी बिक्री सीधे ही होटल, रेस्तरां, कम्पनियों (रिलायन्स, सफल आदि) को कर रहे हैं | कुछ यूरोपियन देशों तथा अमेरिका में बेबी कॉर्न के आचार एवं कैन्डी की बहुत ही ज्यादा माँग है | हरियाणा राज्य के पानीपत जिला से पचरंगा कम्पनी द्वारा इन देशों में बेबी कॉर्न के आचार का निर्यात किया जा रहा है |

अच्‍छे दामों के लिए करें प्रोसेसिंग

बाजार में बेबी कॉर्न (छिलका उतरा हुआ) को बेचने के लिये छोटे–छोटे पोलिबैग में पैकिंग किया जा सकता है | इसे अधिक समय तक संरक्षित रखने के लिये काँच(शीशा) की पैकिंग सबसे अच्छी होती है | काँच के पैकिंग में 52% बेबी कॉर्न और 48% नमक का घोल होता है | बेबी कॉर्न को डिब्बा में बंद करके दूर के बाजार या अन्तराष्ट्रीय बाज़ारों में बेचा जा सकता है।

 

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