स्टेविया एक छरहरा यानी की पतला व सदाबहार शाकीय पौधा है। इसकी मिठास के कारण इसे “हनी प्लांट” भी कहा जाता है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में करीब 400 साल से किया जा रहा है। यह एक मात्र ऐसा पौधा है जिसमे कोई और किसी भी प्रकार का दोष नहीं होते हैं। स्टेविआ और गुड़मार का वैज्ञानिक विश्लेषण, इसके फायदे व स्टेविआ से सम्बंधित और अधिक जानकारी के लिए आप हमारे लिंक पर विजिट करें! निचे हम आपको खेती से सम्बंधित जानकारी, इससे होने वाली कमाई व लोन से सम्बंधित जानकारी दे रहे हैं !

 

मधुमेह और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए यह फायदेमंद है जिससे वो मिठाई खाने का भी लुत्फ उठा सकते हैं और साथ ही हेल्थ का टेंशन भी नहीं होगा। स्टेविया की औषधीय गुणों के कारण ही इसकी मांग धीरे धीरे बढ़ रही है। लिहाजा स्टेविया की खेती करके कृषक ठीक ठाक मुनाफा कमा सकते हैं। भारत के पंजाब में इसकी खाती हाल फिलहाल तेजी से लोकप्रियता पकड़ रही है।

Stevia की खेती भारत में पूरे साल भर में कभी भी की जा सकती है। इसके लिये … ऐसे क्षेत्र जहाँ पर न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, वहाँ पर इसकी खेती नहीं की जा सकती ।11डि‍ग्री सेन्टीग्रेड तक के तापमान मेंStevia की खेती आसानी से की जा सकती है। … स्टीविया की खेती वर्ष में कभी भी कर सकते है, लेकिन इसके लिए सही समय फरवरी-मार्च का महीना है तापमान एवं लम्बे दिनों का होना फसल के उत्पादन पर अधिक प्रभाव डालता है और स्टीविया के पौधों का रोपाई मेङो पर किया जाता है।

Stevia स्टेविया पत्तियों में मिठास है के रूप में सामान्यतः ज्ञात Rebaudiana (लैटिन नाम) एक प्राकृतिक, गैर जहरीले & शून्य कैलोरी बेंत चीनी से 300 गुना मीठा है जो stevioside नामक पदार्थ, के कारण है। गन्ना के विपरीत, कि आए जो बनाने के लिए प्रक्रियाओं की एक बहुत हानिकारक रसायनों है कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकते हैं का उपयोग, स्टेविया संयंत्र सब पर कम या कोई प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती है।

स्टेविया शर्करा के रूप में डब्ल्यूएचओ प्रति के लिए एक बेहतर विकल्प की रिपोर्ट, भारत में उच्चतम मधुमेह रोगियों में दुनिया और आशंका है हर साल खराब हो रही हो करने के लिए दृश्य है। जाहिर है, वहाँ एक तत्काल आवश्यकता और एक कैलोरी मुक्त जैव स्वीटनर के लिए सहवर्ती मांग है। इन उद्योगों पर प्रतिकूल साइड इफेक्ट है लंबे समय में ज्ञात कर रहे हैं कि वर्तमान उपयोग कृत्रिम मिठास…

इसलिए, वहाँ एक असीमित बाजार इस प्राकृतिक, गैर-विषाक्त & शून्य कैलोरी मिठास – Stevia हैनिमैन धर्मार्थ मिशन सोसायटी, के लिए ही भारत में क्षमता है एक आईएसओ प्रमाणित एनजीओ, में वर्ष 1996 के पूरे भारत में स्टेविया की खेती को बढ़ावा देने है की स्थापना की। HCMS है अच्छी तरह से योग्य & खेती, की स्थापना करना & स्टेविया की खेती की निगरानी के लिए तकनीकी स्टाफ अनुभव किया। संगठन तकनीकी सलाहकारों, क्षेत्रिकीविज्ञ & फील्ड अधिकारी कार्यरत है। हम भी एसोसिएट्स कई स्टेविया का विनिर्माण & खरीदारों के साथ कर रहे हैं। हम भी आपूर्ति & स्टेविया शुगर, शुद्ध stevia पाउडर, स्टेविया उत्पादों की विविधता को बढ़ावा देने, stevia पाउडर निकालने, शुद्ध stevia पाउडर निकालने, greenlite स्टेविया, greenlite स्टेविया निकालने पाउडर आदि।

 

भारत में स्टेविआ की खेती का तरीका, कमाई, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग व पौध की उपलब्धता (Method of Stevia Farming, Earning, Contract and Availability of Plants/ Roots)

भारत या यूँ कहें पुरे संसार में शुगर और मोटापे के मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है और इन रोगियों के लिए नार्मल कैलोरी स्वीटेंस भोजन में होना जरुरी है! बाज़ार में जो कृत्रिम उत्पाद मिलते हैं वे सेहत के लिए ठीक नहीं होने के कारण मधु तुलसी, स्टेविआ या गुड़मार को नार्मल कैलोरी स्वीटेंस का मुख्या श्रोत्र माना जाता है! ये पदार्थ शुगर से २५-३० गुना ज्यादा मीठे होते है और इनमें ख़ास तौर से स्टेविआ को महत्तव दिया दिया गया है और ये कैलोरी रहित है मधुमेह (डायबिटीज) व हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए शक्कर की जगह इस्तेमाल किया जाता है!

स्टेविआ के पत्तों में पाया जाने वाला Ribaddisaid, Stiviosaid व अन्य compounds में insulin को balance करने के गुण इसमें पाये जाते है जबकि स्टेविआ चीनी से ३०० गुना मीठा होता है! इसीलिए ये मधुमेह के रोगियों के लिए जरुरी माना जाता है

यह anti-viral और anti-bacterial भी है तथा दांतो तथा मसूड़ो की बीमारियों से भी राहत दिलाता है। इसमे anti-ageing, anti-dandruff जैसे गुण पाये जाते है तथा यह non-fermentable होता है। 15 आवश्यक minerals तथा vitamins से युक्त यह पौधा अत्‍यंत उपयोगी औषधीय पौधा है।

स्टेविया के फायदे और इसकी खासियतें – स्टीविया में कैलरी- जीरो, कार्बोहाइड्रेट- जीरो, केमिकल- जीरो, कोलेस्ट्रॉल- जीरो

स्टेविया का वनस्पति विज्ञान – श्रेणी- सगंधीय, समूह- वनज, वनस्पति का प्रकार- शाकीय, वैज्ञानिक नाम- स्टेविया रेवूडियाना, सामान्य नाम- स्टेविया, कुल- एस्ट्रेसी, ऑर्डर- एस्ट्रेलेस, प्रजातियां: स्टेविया रेवूडियाना (बर्तोनी) हेम्सल यूपाटेरियम रेवूडियाना

स्टेविया एक छरहरा यानी की पतला व सदाबहार शाकीय पौधा है। इसकी मिठास के कारण इसे “हनी प्लांट” भी कहा जाता है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में करीब 400 साल से किया जा रहा है। यह एक मात्र ऐसा पौधा है जिसमे कोई और किसी भी प्रकार का दोष नहीं होते हैं।

स्टेविआ और गुड़मार का वैज्ञानिक विश्लेषण, इसके फायदे व स्टेविआ से सम्बंधित और अधिक जानकारी के लिए आप हमारे लिंक पर विजिट करें! नीचे हम आपको खेती से सम्बंधित जानकारी, इससे होने वाली कमाई व लोन से सम्बंधित जानकारी दे रहे हैं!

स्टेविआ की खेती के लिए मिटटी और पानी कैसा हो (Type of Land and Water for Stevia Farming in India)

स्टेविआ की पैदावार रेतीली (बलुई) व दोमट मिटटी में जहाँ जल निकासी की व्यवस्था हो, अच्छी रहती है! इसके लिए लवण युक्त मिटटी अच्छी नहीं होती है! स्टेविआ के लिए मिटटी का पी एच मान 6 से 8 पैदावार के लिए उत्तम होता है!

स्टेविआ की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Atmosphere/ Climatic Conditions for Stevia)

स्टेविआ की खेती पुरे भारत में कहीं भी की जा सकती है! इसके लिए अर्ध आंध्र व अर्ध उष्ण तरह की जलवायु काफी उपयुक्त मानी जाती है! यानी ऐसे क्षेत्र जहाँ पर न्यूनतम तापमान करीब 11 डिग्री और अधिकतम तापमान करीब 45 डिग्री पर इसकी खेती की जा सकती है! जहाँ न्यूनतम तापमान शून्य हो या अधिक बारिस होती हो वह जगह स्टेविआ के लिए ठीक नहीं मानी जाती है!

स्टेविआ की प्रजातियां (Varieties of Stevia)

स्टेविआ रेवूडीयाना (बर्तोनि) व हेमसल यूपाटेरियम रेवूडीयाना (GVK-46) प्रमुख हैं

स्टेविआ के प्लांटेशन का समय (Time of Stevia Plantation)

स्टेविआ को 15 दिसंबर से 15 जनुअरी के बीच के समय को छोड़कर कभी भी लगाया जा सकता है!

स्टेविआ की बुबाई की विधि (Method of Stevia Farming in India)

भूमि को खाद डालने के बाद जोतकर भुरभुरा बना लेना चाहिए और खेत में घास नहीं होनी चाहिए! आखिर की जुताई के समय खेत में ऍफ़ वाई एम् यानि की फार्म यार्ड मन्योर यानि की खाद को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए! जुताई के समय मिटटी में त्रिकोडर्मा मिलाना चाहिए !

खेत में कतार से कतार की दुरी करीब सवा फ़ीट यानि करीब 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए !

स्टेविआ की खेती के लिए ट्रेनिंग कहाँ से मिलेगी (Training for Stevia Plantation)

स्टेविआ की खेती के लिए आपको किसी प्रकार की ट्रेनिंग की आवस्यकता नहीं हैं ! इसके लिए हम आपके यहाँ साल में दो बार विजिट करेंगे और आपकी खेती की जाँच हम खुद करते रहेंगे और ये हमारे एग्रीमेंट की शर्त भी होगी! इसलिए आपको किसी प्रकार की टेंशन लेने की कोई जरुरत नहीं है

स्टेविआ में फ़र्टिलाइज़र और पेस्टीसिड्स का इस्तेमाल (Use of Fertilizers and Pesticides in Stevia)

स्टेविआ में केवल आर्गेनिक और कम्पोस्ट खाद व आर्गेनिक पेस्टीसिड्स का ही इस्तेमाल किया जा सकता है! इसमें केवल बायो ंपक का महीने में एक या दो बार स्प्रे किया जा सकता है जो एपीआई (API) या इको (ECO) कंपनी का होना चाहिए!

स्टेविआ की फसल में उर्वरक व खाद का प्रयोग (Quantity and Type of Fertilizer & Pesticides to be used in Stevia Farming)

स्टेविआ की पत्तियों का इस्तेमाल मनुष्य द्वारा सीधे रूप में दवाई की तरह किया जाता है और इसी वजह से खेती में किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों का सीधा प्रयोग नहीं किया जा सकता है! एक एकड़ में इस फसल को तत्व के रूप में नाइट्रोजन; फास्फोरस व पोटास की मात्रा क्रम्स: ११०:४५:४५ किलोग्राम की आवस्यकता होती है और इसकी पूर्ति के लिए ८०-९० क्वांटल वर्मी कम्पोस्ट या २०० क्वांटल सड़ी हुई गोबर की खाद डाली जानी चाहिए!

स्टेविआ की फसल को कीट और रोगों से बचाना (Use of Pesticides in Stevia Farming)

स्टेविआ की फसल में वैसे तो कोई ज्यादा रोग लगने की सम्भावना नहीं रहती है पर कभी कभी इसकी पत्तियों पर धब्बे पद जाते हैं जो की बोरान तत्त्व की कमी के कारन होते हैं और इसके नियंत्रण के लिए 6% बोरेक्स का छिड़काव किया जा सकता है! वैसे इसके लिए उत्तम औषधि यानी सभी प्रकार के रोगों की रोकथाम के लिए नीम के तेल को पानी में घोलकर स्प्रे भी किया जा सकता है और इसके साथ अगर थोड़ा सा गौ मूत्र और मिला लिया जाये तो सोने पे सुहागा होगा!

स्टेविआ फार्मिंग में खरपतवार नियंत्रण (Weeds Control in Stevia Farming)

स्टेविआ के लगाने के एक महीने के बाद पहली निदाई करनी चाहिए! अगली बार निदाई करीब हर 15-20 दिन में में हाथ से करनी चाहिए!

स्टेविआ की फसल में सिचाई की जरुरत व तरीका (Irregation of Stevia Farming)

स्टेविआ की फसल को पानी की जरुरत थोड़ी ज्यादा होती है और इसके लिए स्प्रिंकलर्स या ड्रिप विधि बेहतर होती है! स्टेविआ की फसल को लगातार पानी की जरुरत होती है और इसे शर्दी के मौसम में 15-20 दिन और गर्मी के मौसम में 10-15 दिन में पानी की जरुरत होती है! बरसात के मौसम में जरुरत के अनुसार पानी दिया जाना चाहिए!

स्टेविआ की पौध का साइज और कल्चर (Size of Plant/ Root and Development Culture of Stevia Plants)

स्टेविआ का न ही प्लांट (पौधा) या जड़ को लगाया जाता है जो की डंडे के साथ आती है और लगते वक़्त डंडे को अलग कर दिया जाता है और जड़ को जमीन में लगा दिया जाता है! ये पौध टिश्यू कल्चर से तैयार की जाती है/ या खेत में पहले लगे पौध से स्वत ही बन जाती है

एक एकड़ में स्टेविआ के कितने प्लांट लगाए जाते हैं (How many stevia plants required for one acre)

  • एक एकड़ (43,500 sqft) में स्टेविआ के करीब तीस हज़ार पौधे (यानी जड़) लगाई जाती है! अपनी जगह के लिए आप इसी प्रकार कैलकुलेट कर सकते है यानी पहले अपने खेत की लम्बाई चौड़ाई फ़ीट में नाप लें और जितना एरिया sqft में आता है उसे 1.5 से भाग दे दें तो इतनी पौध लगेगी! यानी एक एकड़ में करीब 30000 पौध लगेगी और इससे ज्यादा भी लगाई जा सकती है

एक एकड़ में स्टेविआ प्लांट लगाने का टोटल खर्चा क्या होगा (What will be the total expenses for Stevia Plantation in an Acre)

  • एक एकड़ में स्टेविआ प्लांट लगाने का खर्चा इस प्रकार होगा – (1) पौध/ जड़ का खर्च (60,000-90,000) (2) लेबर का खर्चा – करीब 6,000 और बाकी गोबर की खाद, जुताई और पानी का खर्च !

स्टेविआ की खेती कहाँ कहाँ की जा सकती है (Where Stevia Farming can be done)

  • स्टेविआ की खेती घर की छत, प्लाट, फार्म हाउस, बाग़ के बीच में या खेत में कहनी भी की जा सकती है!

स्टेविआ की खेती के लिए उपयुक्त या बेस्ट फार्मिंग स्टेट्स कौन से हैं (Best Farming States for Stevia Farming in India)

  • हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर का कुछ हिस्सा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखण्ड, महाराष्ट्र, गुजरात, चंडीगढ़, पंचकूला, दिल्ली या यूँ कहें इसकी खेती करीब करीब पुरे भारत में की जा सकती है!

प्लांटेशन में आप क्या मदद कर सकती है (What help will be provided by you ) ?

  • हम आपके साथ वापिस खरीदने का एग्रीमेंट करेंगे और इसमें दो तिहाई पौध (जड़) का खर्चा आपका होगा और एक तिहाई हमारा होगा! एक तिहाई खर्चे को हम आपसे जब आपकी पहली फसल आ जाएगी तो हम वापिस ले लेंगे! इस प्रकार से आपको फसल बेचने में भी कोई परेशानी नहीं होगी!

स्टेविआ की फसल कितने समय में तैयार हो जाती है और साल में कितनी कटाई की जा सकती हैं (Stevia Harvesting and Cutting)

  • स्टेविआ की फसल बहुत जल्द यानी ढाई से तीन महीने में ही तैयार हो जाती है और साल में करीब चार से पांच बार तक काटी जा सकती है! हालाँकि कई लोग साल में छह कटाई तक कर रहे हैं!

स्टेविआ की फसल की कटाई का समय (Stevia Harvesting Time)

  • स्टेविआ की फसल को रोपण के बाद करीब 75 से 90 दिन के बीच में काट लिया जाता है! जमीन से पौधे के तने को करीब 5 से 8 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिए इससे दुबारा से पौधे को बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगता है! इसके बाद लगातार 60 से 80 दिन के बीच फिर से कटाई कर लेनी चाहिए!

एक एकड़ में एक साल में कितनी फसल निकल जाती है (One Time Harvesting in One Acre in One Year)

  • एक एकड़ में एक साल में करीब 5 कटाई से 3000 किलो (30,000 पौध लगाकर) तक फसल आसानी से उठाई जा सकती है!

स्टेविआ की खेती में सावधानी व फूलों को तोडना (Stevia Farming Precautions and Removal of Stevia Flowers)

  • स्टेविआ की पत्तियों में Stiviosaid पाए जाते हैं इसलिए पत्तियों की मात्रा बधाई जाती है और पत्तियों की मात्रा बढ़ाने के लिए व पत्ती में Stiviosaid की मात्रा में कमी न आ जाये इसके लिए फूलों को तोडना जरुरी होता है! अगर पौधे पर 2-3 फूल लगे हों और उन्हें न तोडा जाये तो Stiviosaid की मात्रा में 50% तक की कमी आ जाती है इसलिए फसल की पहली कटाई के बाद 40, 60 व 80 दिनों में फूलों को जरूर तोड़ लेना चाहिए ।

स्टेविआ के पत्ते के इलावा भी इससे कोई आमदनी होती हैं (Any Extra Income from Stevia other than Leaves)

  • हाँ! स्टेविआ के पत्ते के इलावा इसके डंडे व जड़ को भी पौध के रूप में बेचा जा सकता है!

स्टेविआ को मार्किट में किस रेट में बेचा जा सकता है (Market Rate of Stevia Leaves)

  • स्टेविआ के पत्ते मार्किट में आसानी से करीब 100-150 Rs. किलो, डंडा करीब 500 रूपए क्वांटल व पौध करीब 4 रूपए से लेकर 8 रूपए तक प्रति प्लांट (जड़) आसानी से बेचीं जा सकती है ।

एक एकड़ स्टेविआ से साल में कुल कितनी आमदनी की जा सकती है (Total Income from One Acre in an Year)

एक एकड़ से साल भर में करीब 2 lacs to 6 Lacs रूपए की आमदनी की जा सकती है जिसकी डिटेल इस प्रकार है ।

  • टोटल पत्ता – 3000 किलोग्राम x 100 यानी 3,00,000 (तीन लाख रूपए)
  • टोटल डंडा – करीब 8 क्वांटल x 500 = 4000
  • टोटल पौध – करीब एक लाख जड़/ पौध x 2 = 2,00,000 (केवल एक बार)

एक बार लगाने के बाद ये खेती कितने साल तक चलेगी (Life Cycle of Stevia Plantation)

  • एक बार लगाने के बाद ये खेती करीब 4 साल तक चलती है! इसके बाद स्टेविआ की पत्तियों में जरुरी तत्त्व यानि Stiviosaid की मात्रा घट जाती है ।

स्टेविआ की पत्तियों को सुखाना और इसकी पैकिंग (Stevia Final Product Drying and Packing)

  • स्टेविआ की पत्तियों को टहनियों से तोड़कर पतली परत के रूप में फैलाकर धुप में या ड्रायर द्वारा तब तक सुखाया जाता है जब तक की इसका वजन स्थिर नहीं हो जाता! इसके बाद सुखी पत्तियों को सूखे/ ठन्डे स्थान में शीशे के जार या एयर टाइट पोलीथीन बैग में भर देते हैं ।

इस खेती का भविष्य क्या है (Future of Stevia Plantation and Farming)

  • इस खेती का भविष्य बहुत ही उज्जवल है क्योंकि भारत ही नहीं पुरे संसार में शुगर और मोटापे की समस्या बढ़ती ही जा रही है! स्टेविआ को चीनी के विकल्प के रूप में देखा जाता है और वास्तव में स्टेविआ चीनी से तीनसो गुना मीठा होता है परन्तु इसे शुगर और मोटापे की दवाई के रूप में इस्तेमाल किया जाता है ।
  • स्टेविआ मीठा होने के बावजूत शुगर और मोटापे को खत्म करता है रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है और और बीमार व्यक्ति भी स्टेविआ को मीठे के रूप में इस्तेमाल करके अपना इलाज कर सकता है ।

स्टेविआ की मार्केटिंग कैसे की जाएगी, क्या फ्यूचर फार्मिंग स्टेविआ के लिए कोई कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग फार्मिंग करती है ( Marketing of Stevia and Contract Farming with future farming )

  • स्टेविआ की मार्केटिंग के लिए आपको कोई टेंशन लेने की जरुरत नहीं हैं, आपकी तैयार फसल को हम खुद खरीदेंगे और तो और पौध देते समय भी हम इसमें हिस्सेदारी करेंगे यानी आपको पौध का केवल दो तिहाई पैसा देना है और एक तिहाई हिस्सा हम खुद देंगे यानी फ्यूचर फार्म एक तिहाई हिस्सा पे करेगा और बाद इस हिस्से को हम बिक्री के समय काट लेंगे । यानी हुआ ना आम के आम और गुठलियों के दाम ।

पौध का आर्डर यानी पेमेंट कैसे करनी होगी (How to order for Stevia Plantation) ?

  • आपके अपने हिस्से का 50% एडवांस और 50% पौध के खेत पर पहुंचते ही / एग्रीमेंट के बाद देना है । हम और आप पहले एग्रीमेंट करेंगे और उसके बाद पौध भिजवाएंगे । पेमेंट आप हमारे बैंक अकाउंट में जमा करेंगे, यानी अकाउंट डिपाजिट, अकाउंट ट्रांसफर, चेक से या paytm से पैसा दिया जा सकता है ।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का एग्रीमेंट कैसे होगा (How Stevia Contract Farming Agreement Will Be Done)

  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का एग्रीमेंट की कंडीशंस को हम आपको मेल या व्हाट्सअप पर भेज देंगे और अगर आप सभी कंडीशंस को एग्री कर लेते है तो हमें 60% पेमेंट कर देंगे । हम एग्रीमेंट को स्टाम्प पेपर पर साइन करके आपको भेज देंगे । उस अग्रीमेंट को साइन करके उसकी एक कॉपी और बाकी पेमेंट आप हमारे अकाउंट में जमा कर देंगे और हम आपको स्टेविआ की पौध (Stevia Plants) भिजवा देंगे ।

स्टेविआ की पौध किस तरह लगाई जाएगी (How Stevia Plantation will be done) :-

  • पौध लगाते समय हमारा एक टेक्निकल एक्सपर्ट आपके खेत पर आएगा और आपको खेत को तैयार करके रखना होगा और जरुरत के अनुसार लेबर और दूसरे जरुरी औजार आपको तैयार रखने होंगे । हमारा टेक्निकल एक्सपर्ट आपको पौध लगाने के तरीके बताएगा और जब आपकी कुछ पौध लग जाएगी यानी जब आप या आपकी लेबर समझ लेगी तब टेक्निकल एक्सपर्ट वापिस आएगा ।

स्टेविआ की पौध लाते समय ट्रांसपोर्ट का खर्चा कौन देगा (Who will pay transport charges for Stevia Plantation)

  • पौध लाते समय ट्रांसपोर्ट का खर्चा कंपनी यानी फ्यूचर फार्म देगी और आपको ट्रांसपोर्ट के लिए कोई पैसा नहीं देना है लेकिन इस बात का ध्यान रहे की ट्रांसपोर्टर कई बार अपने व्हीकल को आपके खेत पर ले जाने के लिए मना कर सकता है यानी वे मैन रोड तक ही जाते हैं उसे केस में आगे के ट्रांसपोर्ट का आपको इंतजाम करके रखना होगा । अगर ट्रांसपोर्टर गाडी को आपके खेत तक ले जाता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है ।

एग्रीमेंट की जरुरी शर्तें क्या होंगी (What will be basic conditions for Stevia Contract Farming in India)

एग्रीमेंट की जरुरी शर्तें इस प्रकार होंगी :-

  • किसान फसल को किसी और को नहीं बेच सकता, किसान अपनी फसल केवल फ्यूचर फार्म या फ्यूचर फार्म द्वारा निर्धारित कंपनी को ही बेच सकते हैं!
  • खेती करते समय किसान निर्धारित नियमों का पालन करेंगे और अपनी मर्जी से कोई भी फ़र्टिलाइज़र और खरपतवार नासक नहीं डालेंगे क्योंकि इसमें केवल आर्गेनिक और कम्पोस्ट खाद वगेरा ही डाली जाती है और केमिकल वाली खाद और पेस्टीसिड्स नहीं डालने होते है!
  • एग्रीमेंट में निर्धारित नियमानुसार पौध की पेमेंट फ्यूचर फार्म को पहले और दूसरे लोट की बिक्री से करनी होगी ।
  • बाकी शर्तें एग्रीमेंट के अनुसार रहेंगी ।

हर्बल फार्मिंग, पौध और प्लांटेशन के लिए कहाँ संपर्क करना है (Where to Contact For Herbal Farming)

  • हर्बल फार्मिंग यानी अलोएवेरा, स्टेविआ, गुड़मार, निम्बू, गुलाब, सफ़ेद मूसली, अश्व गंधा, सतावर की खेती की पौध, ट्रेनिंग, फार्मिंग का तरीका व मार्केटिंग के लिए संपर्क करें!
 
 

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