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Karan Vandana (DBW 187)
गेहूं की नई विकसित किस्म- करण वंदना (DBW 187) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) लगातार किसानों की आय बढ़ाने के काम कर रहा है | भारत में बहुत से कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों के द्वारा कड़ी मेहनत से किसानों के लिए कई किस्में तैयार की जा रही है जिससे किसान कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर सके इसी क्रम में भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने गेहूं की एक किस्म विकसित की है जिसका नाम है करण वंदना (DBW 187) ।

करण वंदना (DBW 187) किस्म क्यों है ख़ास यह किस्म इसलिए खास है क्योंकि मौजूदा किस्मों जैसे HD-2967, K-0307, HD-2733, K-1006 और DBW-39 की तुलना में इस किस्म की पैदावार बहुत अधिक है | साथ ही इस गेहूं की किस्म को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं है 2-3 सिंचाई ही करण वंदना (DBW 187) किस्म के लिए काफी है |

करण वंदना (DBW 187) किस्म की विशेषता यह किस्म पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करता है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व होती है। इसकी औसत ऊँचाई 100 सेमी है जबकि क्षमता 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 10 में 7.7 अंक और 43.1 लौह सामग्री के साथ इस किस्म की चपाती की गुणवत्ता बहुत बेहतर होती है। यह भी पढ़ें किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएं सोयाबीन की नई विकसित किस्म MACS 1407 किसानों ने करण वंदना (DBW 187) किस्म की खेती कर लिया भरपूर उत्पादन का लाभ गेहूं की खेती के लिए करण वंदना (DBW 187) किस्म को को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर 16 नवंबर, 2018 को जिले के गेहूँ किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें 100 किसानों में को प्रशिक्षण दिया गया | करण वंदना के 2.5 किलोग्राम बीज की मिनी किट भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिए गए । नवंबर, 2018 के तीसरे सप्ताह में गेहूँ की बुआई की गई । किसानों ने खेत में उर्वरकों की अनुशंसित खुराक (150: 60: 40 किलोग्राम एनपीके/हेक्टेयर) लगाई और दो बार सिंचाई की। फसल के मौसम (सीजन) के दौरान दो बार मैन्युअली हाथ से निराई की । 10 अप्रैल, 2019 को 266 मी 2 (82.52 क्विंटल/हेक्टेयर) के छोटे क्षेत्र से 220 किलोग्राम गेहूँ के उच्च पैदावार का लाभ मिला ।

 

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